दुख के काँटे

दुख में सुख की बहुत याद आती है,
धैर्य और साहस की परीक्षा हो जाती है।
आग में तपकर ही सोने में चमक आती है,
दुख को सहकर ही किस्मत को चुनौती दी जाती है।

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दुख सुख का महत्व समझा जाता है,

दूसरों के दर्द का भी अहसास करा जाता है।

दुख शत्रु और मित्र की पहचान करा देता है,

अपने और पराये की परख बता देता है।

सुख छिनने का हमेशा डर लगा रहता है,
दुख में व्यक्ति इस बात से निर्भय बना रहता है।
सुख जाता है तो दुख दे जाता है,
दुख जाता है तो सुख दे जाता है।

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पतझड़ के बाद बसन्त की बहार भी आती है,

तपती गर्मी के बाद मानसून की बौछार भी आती है।

अँधेरी रात के बाद उजाले की भोर भी आती है,

दुख और कष्टों के बाद सुख की झंकार भी आती है।

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उजाले के बिना जीवन में अँधेरा हो जाता है,
पर अँधेरा ही उजाले का महत्व समझाता है।
सुख  दुख जीवन के साथ चलते हैं,
फूलों के साथ कांटे भी मिलते हैं।

Posted in Poem.

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