श्रुत पंचमी

श्रुत पंचमी जैन पर्व है पावन, 

पूर्ण हुआ इस दिन प्रथम जैन ग्रन्थ का लेखन

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भगवान महावीर के उपदेश और वाणी को आचार्यों ने मौखिक स्मरण किया,

मौखिक ज्ञान के बल पर ही आचरण में उतार लिया ।

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पर काल के प्रभाव से स्मरण शक्ति कम होनी शुरू हुई,

तब आचार्य धरसेन को भगवान की वाणी सुरक्षित करने की चिंता हुई ।

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आने वाले जीवों के कल्याण की भावना हुई,

भगवान की वाणी उन तक पहुँचाने की समस्या खड़ी हुई ।

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तब उन्होंने अपने दो शिष्यों, मुनि भूतबलि व मुनि पुष्पदंत को 

भगवान की वाणी लिखने का आदेश दिया,

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आज के ही दिन दोनों शिष्यों ने ‘ षटखंडागम ‘ ग्रन्थ 

की रचना कर इस कार्य को पूर्ण किया ।

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इस दिन से नए नए ग्रन्थों की रचना शुरू हुई,

ग्रन्थों के रूप में भगवान की वाणी सुरक्षित हुई ।

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ग्रन्थों व शास्त्रों को पढ़कर हमने भगवान की वाणी को जाना,

अपने जैन धर्म और जीव दया को पहचाना ।

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इस दिन शास्त्रों और ग्रन्थों की पूजा की जाती है,

उनकी सुरक्षा और विस्तार की शपथ ली जाती है ।

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—-Written by Spring Season

श्रुत पंचमी का पावन पर्व

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3 Comments

  1. बहुत ही अच्छी सच्ची भाव पूर्ण रचना। जिनवाणी माता की जय।

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