मच्छर बोला आदमी से
बरसात के मौसम में,
मच्छर ने अपना मुँह खोला,
और आदमी से इस तरह बोला—
मै तेरा खून पी जाऊँगा,

तेरे कान में बेसुरा संगीत बजाऊँगा,
डेंगू, मलेरिया से तुझे डराऊँगा,चैन की नींद से तुझे जगाऊँगा,
तेरे घर में भी अपना कुनबा बढ़ाऊँगा,
मौका मिलते ही तुझे काट खाऊँगा,
.
आदमी ने मच्छर के बोल को सहा,
और फिर मच्छर से कहा —–
मेरा खून तो पहले ही समस्याओं ने पिया,
प्रदूषण ने मेरा बैंड बजा दिया,
कोरोना के भय ने जीना मुश्किल किया,
चिन्ता और तनाव ने नींद को लूट लिया |
अब तू भी आ जा मुझे और दुखी करने को,
प्रदूषण, समस्याओं और कोरोना का साथी बनने को,
अपने डंक के जहर से मुझे सताने को,
बीमारियों का उपहार देकर मुझे रुलाने को,

बहुत सुन्दर प्रस्तुति भावों की।
बहुत अच्छा सच्चा वार्तालाप।
Very nice
चार इन्द्रिय जीव मच्छर, कुछ और कर भी नही सकता,कर्मोदय है,मोक्ष पुरुषार्थ नहीं है।ये ही जीवन की सच्चाई है।